कुंडली
मुट्ठी में सूरज लिए, अंगारों में जान|
क्रांति बीज है पल रहा,जाग रहा इंसान||
जाग रहा इंसान,भ्रष्टता, दूर भगाओ|
जनगण हैं तैय्यार,अनल भर मुट्ठी लाओ||
धुआँ हो रही आग,पिये हम विष की घुट्ठी|
देंगे अब बलिदान,भींचते सब हैं मुट्ठी||
ओ.बी.ओ.चित्र काव्य प्रतियोगिता अंक १७ में प्रथम
पुरस्कार प्राप्त रचना
उमाशंकर मिश्रा
दुर्ग छ.ग.
पुरस्कार के लिये बधाई,,,,
जवाब देंहटाएंसुंदर लाजबाब कुंडली,,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
शुभकामनायें उमा जी ||
जवाब देंहटाएंविश्वस्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं है.ओबीओ पर एक से बढ़कर एक, साहित्य साधकों का समागम रहता है. भारतीय छंदों पर आधारित इस प्रतियोगिता में व्याकरण और वर्तनी की सूक्ष्म त्रुटियाँ भी निर्णायकों की नजर स बच नहीं सकती. ऐसे में आपका प्रथम आना निश्चय ही आपकी श्रेष्ठ सृजनशीलता का परिचायक है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंआपकी सफलता के समाचार जिला दुर्ग व जिला राजनांदगाँव के प्रमुख समाचार पत्रों में देख कर अत्यंत ही हर्ष हुआ. पुन: बधाइयाँ स्वीकार करें.