कवित्त छंद (वार्णिक छंद)-वर्ण क्रम ८+८+८+७=३१
ऐसा
भारत सजाइए
इस
देश के निवासी,बनों अ-विनाशी यहाँ,
भारती की आन और,शान को बढ़ाइये|
रावण
पे बाण मारो, राम का आदर्श धारो,
मर्यादा
की सीमा रेखा,सब को सिखाइये||
नदियाँ हो दूध
भरी,हीरे मोतियों से जड़ी,
वसुधा कुटुंबकम,बीज उपजाईये|
भाषाओं में मेल बढ़े,आपस में नाहीं लड़ें,
अनेकता में एकता,भारत सजाईये||
रखना है एक
यदि,अखंड अभेद सभी,
राष्ट्र भाषा मान प्रेम,हिंदी अपनाईये|
बने
सर ताज हिंद,संस्कृतियों का बिंब,
जग में तिरंगा सब,तरफ सजाईये||
धर्म
जाति भाषा प्रान्त,भेद नहीं करें यहाँ,
भारत
के वासी हम,गले लग जाईये|
संतों का ये देश सजे,देवताई भेष बने,
हर
एक भारतीय,भारती कहाईये||
माँ
भारती की आन पे,हथेली में जान लिये,
करें
बलिदान यहाँ,खुद को चढ़ाईये|
दुनियाँ
के पटल में,नाम और काम दिखा,
सपने
हो सच सभी,काम कर जाईये||
उमाशंकर
मिश्रा
आदरणीय गुरूजी आपका सादर आभार
जवाब देंहटाएंआपका इस ब्लॉग में आना मेरे लिए अत्यंत सुखद है
हार्दिक धन्यवाद
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआप का कवित्त, मन भाये अति मित्र
आप लेखनी को लिख लिख कर के चमकाईये ।
सादर धन्यवाद आदरणीय
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए दिल से आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है आपने.
बहुत बहुत धन्यवाद राकेश जी
हटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति क
जवाब देंहटाएंआदरणीया आप ने इस ब्लॉग में आकार मान बढ़ाया
हटाएंसादर आभार
बहुत ही उम्दा रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
मेरा काव्य-पिटारा:पढ़ना था मुझे
आदरणीय प्रदीप कुमार जी हार्दिक धन्यवाद
हटाएंहिंदी-भाषा मास पर , उत्तम हिंदी छंद
जवाब देंहटाएंमन पढ़कर सुख पा रहा,खूब मिला आनन्द
खूब मिला आनंद , आपने ज्ञान बढ़ाया
कैसा होय विधान , सरलता से समझाया
अन्य छंद का ज्ञान , दीजिये है अभिलाषा
देव - नागरी अमर ,अमर हो हिंदी भाषा ||
आदरणीय अरुण भाई आपकी टिप्पणी टिप्पणी नहीं आभूषण है
हटाएंरचना के मान के साथ ब्लॉग की सुंदरता भी बढ़ा देती है
हार्दिक आभार