रविवार, 29 अप्रैल 2012

नेता स्तुति


सफ़ेद पोशं रक्त पिपासं,निचम निचम खद्दरम.
भीख मांगे चुनाव मध्ये, दारू बाटल  बाटनम
कुर्सी बंदे कुर्सी पकडे कुर्सी मध्य चिपकुलनम
बाढ़ं बाढ़े, बाढ़ मध्ये, हेलीकाप्टरे त्वंम वाहनं
राजषी ठाटे, जनता काले, जनता जाने मर्दनं
जेबं,झोली,रिक्तम भवे,तब,तब, सुखा पढ़िश्यनं
केन्द्र बांटे, बांटे धनं, त्वं बंदर, बाटं, बाटनं
कुत्ता भोखे,तुम अपिभोखं, मंत्री भोखे,भौखनम

खाए दलाली, परिजन सारी, कूद पडो, बलिहारी
कोई देख ना पाए, प्रूफ मिटाओ,खाओ दौलत सारी
जो भी आया जम कर खाया, जनता रही अनाड़ी
सब तरफ घोटाला फेरन माला,पाप हारेगा सारी

पूंजीवादियों के लिए, लिए आप अवतार
बन के मंत्री आपने, किया है बंटा ढार 

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

जन्म सिद्ध अधिकार है


जन सेवा मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है|
मुझे देश की    भावी जनता से प्यार है||
मुझे कुर्सी दिलाने में    इनका     हाथ है|
मेरी झोपड़ी को महल बनाने में इनका साथ है|
इनके अहसानों के बदले देता हूँ आश्वासन||
बड़े मुश्किल में तैय्यार किये भाषण|
कागज के पन्नों में बांटता हूँ राशन||
इतने करने में भी ये जनता रोती है|
किये कराये कर्मों को आसुओं से धोती है ||
अरे..मै मंत्री हूँ ....
कुछ कद्र करो मेरे आश्वासनों की |
मेरे मुखाग्र वृन्द से कहे सम्भाष्णो की ||
क्या जनसेवक होना छोटी बात है ?
तुम हो एक वोट,जो तुम्हारी जात है ||
तुम्हारी दिलाई कुर्सी कल छीन जायेगी |
हमारा आश्वाशन हमेशा जिन्दा रहेगा ||
अमर रहेगा.....
तुम्हारी रोतीं बिलखती आँखों को धिक्कार है |
मुझे तुम्हारे खून के एक एक कतरे से प्यार है||
जनसेवा मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है.....
जनसेवा मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है.....

उमाशंकर मिश्रा 

  

shubharambh

जय श्री गणेश