उजबक वाणी....
जन सेवा के नाम पर ,वोट मांगने आय
चुनते हि सरकार में ,लूट लूट सब खाय
मुस्काते मनमोहने, सुरसा डालर आज
मतदाता घायल हुवा,फिर भी करते नाज
त्राहि त्राहि है देश में, कौन यहाँ बदनाम
एक हि थैली में घुसे, चट्टे बट्टे नाम
धीमाविष महंगाई का,धीमी हो गई साँस
नेतागण बेफिकारा, जन गर्दन में फांस
डालर रुपया लड़रहे, चौसर,बिछी बिसात
जनता पांडव लुटगई,शकुनी दे रहा मात
माया बन पेट्रोल अब, ठगनी खेले खेल
आमआदमी पिस गया,जीवन ठेलम ठेल
उनकी कोठी भर गई, भ्रष्ट जीभ से चाट
आमआदमी मर गया,आँगन उलटी खाट
महंगाई मस्त है, आम आदमी पस्त है,
उमाशंकर मिश्रा
पेत्रोल की आग तो सब पर भारी है।
जवाब देंहटाएंडालर रुपया लड़ रहे, चौसर बिछी बिसात
जवाब देंहटाएंजनता पांडव लुट गई,शकुनी दे रहा मात,,,,,,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
माया बन पेट्रोल अब, ठगनी खेले खेल
जवाब देंहटाएंआमआदमी पिस गया,जीवन ठेलम ठेल
....बहुत सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति....
बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआम आदमी के प्रति आपके विचारों के द्वन्द हेतु सम्मलित करने हेतु आभार
गुरूजी को प्रणाम -उमा ..
☺☺☺
जवाब देंहटाएंकाजल कुमार जी आपका स्वागत आप इस खाकसार के ब्लॉग में आये परन्तु हुजूर आपकी टिपण्णी हमें समझ नहीं आई कृपया स्पष्ट करे धन्यवाद
हटाएंदोहे बढ़िया हैं रचे,मौसम के अनुकूल
जवाब देंहटाएंछाये चर्चा मंच पर ,खुशबू वाले फूल.
मुस्काते मनमोहने, सुरसा डालर आज
जवाब देंहटाएंमतदाता घायल हुवा,फिर भी करते नाज
त्राहि त्राहि है देश में, कौन यहाँ बदनाम
एक हि थैली में घुसे, चट्टे बट्टे नाम
मिश्र जी अच्छी रचना ..तीखे व्यंग्य ..न जाने कब जनता जागेगी करे भी तो क्या किसी को चुनना ही है मजबूरी... सारे थाली में छेद करने वाले ही बन जाते हैं वहां
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
अनावृत्त सबको करे, दिखलाते सब खोट।
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे सँग लिए, करें करारी चोट।
सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय उमाशंकर जी सुन्दर दोहावली के लिए।