सफ़ेद पोशं रक्त पिपासं,निचम निचम खद्दरम.
भीख मांगे चुनाव मध्ये, दारू बाटल बाटनम
कुर्सी बंदे कुर्सी
पकडे कुर्सी मध्य चिपकुलनमबाढ़ं बाढ़े, बाढ़ मध्ये, हेलीकाप्टरे त्वंम वाहनं
राजषी ठाटे, जनता काले, जनता जाने मर्दनं
जेबं,झोली,रिक्तम भवे,तब,तब, सुखा पढ़िश्यनं
केन्द्र बांटे, बांटे धनं, त्वं बंदर, बाटं, बाटनं
कुत्ता भोखे,तुम अपिभोखं, मंत्री भोखे,भौखनम
खाए दलाली, परिजन सारी, कूद पडो, बलिहारी
कोई देख ना पाए, प्रूफ मिटाओ,खाओ दौलत सारी
जो भी आया जम कर खाया, जनता रही अनाड़ी
सब तरफ घोटाला फेरन माला,पाप हारेगा सारी
पूंजीवादियों के लिए, लिए आप अवतार
बन के मंत्री आपने, किया है बंटा ढार
सुंदर स्तुति गान.
जवाब देंहटाएंस्वागत है भाई आपका इस दुनिया में -
जवाब देंहटाएंपहली धमाकेदार प्रस्तुति |
बधाई ||
हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहोता चर्चा मंच है, हरदम नया अनोखा ।
जवाब देंहटाएंपाठक-गन इब खाइए, रविकर चोखा-धोखा ।।
बुधवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.in
रचना रविकर की मिले पढ़ने अपनों के संग
हटाएंचर्चा तब चलती रहे चढ़ जाये मस्त उमंग
जय हो रवि भैय्या
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं