जन सेवा मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है|
मुझे देश की भावी जनता से प्यार है||
मुझे कुर्सी दिलाने में इनका हाथ है|
मेरी झोपड़ी को महल बनाने में इनका साथ है|
इनके अहसानों के बदले देता हूँ आश्वासन||
बड़े मुश्किल में तैय्यार किये भाषण|
कागज के पन्नों में बांटता हूँ राशन||
इतने करने में भी ये जनता रोती है|
किये कराये कर्मों को आसुओं से धोती है ||
अरे..मै मंत्री हूँ ....
कुछ कद्र करो मेरे आश्वासनों की |
मेरे मुखाग्र वृन्द से कहे सम्भाष्णो की ||
क्या जनसेवक होना छोटी बात है ?
तुम हो एक वोट,जो तुम्हारी जात है ||
तुम्हारी दिलाई कुर्सी कल छीन जायेगी |
हमारा आश्वाशन हमेशा जिन्दा रहेगा ||
अमर रहेगा.....
तुम्हारी रोतीं बिलखती आँखों को धिक्कार है |
मुझे तुम्हारे खून के एक एक कतरे से प्यार है||
जनसेवा मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है.....
जनसेवा मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है.....
उमाशंकर मिश्रा
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.बेहतरीन हास्य-व्यंग्य रचना से श्रीगणेश किया है.आपकी लेखनी का स्वाद चखने को मन सदा प्रतीक्षारत रहेगा.
जवाब देंहटाएंwelcome....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना को प्रस्तुत करने का आभार..... आगे भी प्रतीक्षा रहेगी
follower ka option nahin dikh raha hai |
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