याद
आवारा सी जेहन में सफर करती है
आह
एहसास को फुरकत की नजर करती है |1|
अश्क़ आसानी से अक्सर बहा नहीं करते
चोट
गहरी है जुंबा दिल पे जहर करती है |2|
ज़िंदगी है कहाँ महफूज़ लड़कियों की यहाँ
ज़िंदगी है कहाँ महफूज़ लड़कियों की यहाँ
रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है |3|
निराश जिंदगी मुश्किल में सदा रहती है
आस से राह
भी मुश्किल पे जफ़र करती है |4|
मौत से डर गया बुजदिल वो कहाता यारों
जिंदगी
मौत के उस पार सफर करती है |5
चाल बहके तो बदनाम चलन है साकी
जाम
छलके बिना मदहोश नजर करती है | 6
दूर सौ कोस से उसने जो हमें याद किया
खुजलियाँ पूरे तन
बदन पे कहर करती है |7
उमाशंकर मिश्र
छ.ग.दुर्ग
वाह ,,,बहुत उम्दा गजल,,,उमाशंकर जी,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमकरसंक्रान्ति की शुभकामनाएँ।
बहुत ही अच्छी रचना....बहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है
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