उजबक वाणी....
जन सेवा के नाम पर ,वोट मांगने आय
चुनते हि सरकार में ,लूट लूट सब खाय
मुस्काते मनमोहने, सुरसा डालर आज
मतदाता घायल हुवा,फिर भी करते नाज
त्राहि त्राहि है देश में, कौन यहाँ बदनाम
एक हि थैली में घुसे, चट्टे बट्टे नाम
धीमाविष महंगाई का,धीमी हो गई साँस
नेतागण बेफिकारा, जन गर्दन में फांस
डालर रुपया लड़रहे, चौसर,बिछी बिसात
जनता पांडव लुटगई,शकुनी दे रहा मात
माया बन पेट्रोल अब, ठगनी खेले खेल
आमआदमी पिस गया,जीवन ठेलम ठेल
उनकी कोठी भर गई, भ्रष्ट जीभ से चाट
आमआदमी मर गया,आँगन उलटी खाट
महंगाई मस्त है, आम आदमी पस्त है,
उमाशंकर मिश्रा