जल्वे हम पे भी थोड़े
लुटाया करो
खिड़कियों पर न परदे लगाया करो|.
है तेरे प्यार की ये कैसी तड़प
यूँ
नजर फेर कर ना सताया करो|
चाँद ने चाँदनी डाल दी चाँद पर
चाँद
घूँघट में यूँ न छिपाया करो|
मनचली है हवा ओढ़ लो ओढ़नी
इन
हवाओं से दामन बचाया करो|
लब थिरकते हुए अनकही कह गये
शब्द
अनहद का यूँ न बजाया करो|
.
हम चलो झूम लें आज लग कर गले
ख्वाब
में ही न जन्नत दिखाया करो|
सब पे तोहमत लगाना गलत है सनम
सब पे तोहमत लगाना गलत है सनम
उँगलियाँ
यूँ न सब पर उठाया करो| .
रंगे खूँ से न हीना सजाया
करो
यूँ
न बर्कएतजल्ली* गिराया
करो
ये जुबाँ कट गई
खुद के दाँतों तले
ऊँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो
चश्म*
की झील में बस डुबादो
मुझे
डूब जाने भी दो मत बचाया करो
डूब जाने भी दो मत बचाया करो
फूल को चूम कर भौंरा पागल हुआ
घोल मदहोशी, रस न पिलाया करो
घोल मदहोशी, रस न पिलाया करो
जिस्म की गंध से मन हुआ
बावरा
सिर को सहला के यूँ न सुलाया करो
सिर को सहला के यूँ न सुलाया करो
प्रेम पावन हो जैसे कि राधा
किशन
बाँसुरी बन के होठों पे आया करो
बाँसुरी बन के होठों पे आया करो
आज मीरा को माधव मिले ना मिले
प्रेम माखन हमेशा लुटाया करो
बर्कएतजल्ली*=बिजली
गिरना
चश्म*=आँख
ओ.बी.ओ.में सम्मलित गजल
ओ.बी.ओ.में सम्मलित गजल
उमाशंकर मिश्रा