देश के बैरियों का करूँगा कतल |
हिंदू मुस्लिम का है कहा कौन है ?
उनकी महफ़िल में कैसी तकरीर थी
दंगे भड़के
नहीं यूँ लगाये गए |
देश से दुश्मनी किसके कहने पे की ?
हर तरफ थू थू की आवाज थी |
तुम नादान थे क्या
जानों खता |
अपनी माटी से उपजी कैसी फसल ?
वतन को सम्हाले या जेबे भरें
देश के
बैरियों का करूँगा कतल |
उमाशंकर मिश्रा
हिंदू मुस्लिम का है कहा कौन है ?
खून किसका बहा है
बता कौन है ??
उनकी महफ़िल में कैसी तकरीर थी
कट गई गरदने लापता कौन है?
तल्ख़ किसने कहे सरफिरा कौन है?
देश से दुश्मनी किसके कहने पे की ?
जहर किससे पिया जानता कौन है ??
हर तरफ थू थू की आवाज थी |
फूल सा मुस्कुराता हुआ कौन है ??
जख्म माँ ने सहे मानता कौन है ||
अपनी माटी से उपजी कैसी फसल ?
बो रहा कोई है काटता कौन है??
वतन को सम्हाले या जेबे भरें
जेब कितनी भरी झांकता कौन है ??
है जुनूने वतन जानता कौन है ||
उमाशंकर मिश्रा
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....
जवाब देंहटाएंआद.प्रसन्नवदन चतुर्वेदी जी धन्यवाद
हटाएंआपने लिखा...
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 04/03/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 231 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
आदरणीय कुलदीप ठाकुर जी इस सम्मान के लिये हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंसच्ची व बहुत ही सुन्दर शब्द रचना
जवाब देंहटाएंनव बर्ष की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
बेहतरीन पंडित।
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