चंद्र शिव भाल लगाय
विष ज्वाला शीतल करन, शिव जी भाल लगाय|
अर्ध - चन्द्रमा सोहते, औघड़ रूप सजाय||
औघड़ रूप सजाय, बने थे शिव जी जोगी|
तब से वर्षा करे, चन्द्र बन अमृत
डोंगी||
चन्द्र किरण की आब, बने अमृत का प्याला |
शरद पूर्णिमा रात, भसम हो विष की ज्वाला||
ओ.बी.ओ.महोत्सव में शामिल
उमाशंकर मिश्रा
दुर्ग छ.ग.
वाह,,,,बहुत खूब,सुंदर प्रस्तुति,,,,,
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी,,,बधाई,,,,
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
उमाशंकर मिश्र जी ,कुण्डलिया कह जाय |
जवाब देंहटाएंचंदा शिव के भाल क्यों,सुंदर बात बताय ||
भाई आपकी सार्थक टिपण्णी ने अभिभूत कर दिया
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