यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है
आदमी को आदमी कहता नहीं इंसान है|
भेड़ बकरी की तरह चढ़ रहा परवान है ||
इस सियासत के मुताबिक राज अपना हो गया |
हम हि कुचले जा रहे अलफास बे ईमान है ||
लालसा दौलत की लेके वो सियासि कर गये |
वोट नोटों पर बिके वो बन गये धनवान है ||
घूस भ्रष्टाचार सह कर चुप खड़ा है आदमी |
किस भरत के भारत को बोला गया महान है ||
नीतियाँ भी बिक गई ईमान भी है बिक गया |
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है ||
संसद में भी भिं-भोरा उस जहर के नाग का |
जिस जहर की तड़प से माँ भारती हैरान है ||
अन्याय सह चुप बैठ कर मर गया इंसान है |
अब जुबाँ की चोट पर है उठ रही चिंगारियां|
जल न जाये ये सियासत वो बड़े हैरान है||
धर्म का फतवा हुवा उस नाखुदा के नाम पर|
खून सडकों पर बहा हिंदू ना मुसलमान है||
है फकीरी में यहाँ हर पाक नगमागार है|
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है||
देखते अखबार को क़त्ल सरे राह हुवा|
सब तमाशाबीन नजरें क्यूं यहाँ अंजान है||
बो फसल जो पेट भरता भूख से वह मर गया|
सूदखोरी- बेड़ियों में बंध गया किसान है ||
भर मिलावट से यहाँ हर चीज क्यों है तरबतर|
नोट के सौदा-गरों ने ली हजारों जान है ||
बिक रहा है आदमी रुपयों की झंकार पर |
नाचती अबला यहाँ सुन रूपए की तान है ||
चोरियां जो कर रहा है कुर्सियों में बैठ कर |
छोड़ दे नालायकी उठती वहाँ आजान है ||
इस शहर में भीड़ है मैय्यत वहीँ पे रोक दो |
कब्र पर रहने लगे खाली नहीं शमशान है ||
इंसा खाता था रोटी - खा रही हैं रोटियां |
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है ||
रेत पत्थर कंकडों को अब पचाना सीख लो |
पेड़ कटते जा रहे बस मकान ही मकान है ||
तरही मुशायरा में प्रस्तुत रचना
उमाशंकर मिश्रा
दुर्ग
बहुत ही सुन्दर गजल |
जवाब देंहटाएंबधाई उमा शंकर जी ||
आदरणीय प्रिय भाई रविकर जी आपका आभार एवं धन्यवाद
हटाएंआदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री जी आपका आभार आपने मुझे सम्मान दिया
जवाब देंहटाएंमुझे क्षमा कीजियेगा मै काफी समय से ब्लॉग से अलग रहा|
ब्लॉग पर आपका आगमन शुभ संदेश दे गया|
धन्यवाद
रेत पत्थर कंकडों को अब पचाना सीख लो |
जवाब देंहटाएंपेड़ कटते जा रहे बस मकान ही मकान है ||
बहुत ही प्रेरक सुंदर गजल,,,बधाई उमाशंकर जी,,,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
धीरेन्द्र जी सादर आभार
हटाएंआप आये बहार आयी
भर मिलावट से यहाँ हर चीज क्यों है तरबतर|
जवाब देंहटाएंनोट के सौदा-गरों ने ली हजारों जान है ||
देश के राजनीतिक मिजाज़ की नब्ज़ को पहचानकर ,हम सभी का आइना बन रही यह पोस्ट है .
ram ram bhai
रविवार, 5 अगस्त 2012
आपके श्वसन सम्बन्धी स्वास्थ्य का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक (चिकित्सा व्यवस्था )में
आपके श्वसन सम्बन्धी स्वास्थ्य का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक (चिकित्सा व्यवस्था )में
कृपया यहाँ पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.de/
ram ram bhai
वीरू भाई आपका आभार
हटाएंउम्दा अशार....
जवाब देंहटाएंसादर।
शानदार उमा शंकर जी. ओबीओ के तरही मुशायरे में आपकी गज़लों के किश्तों में पढ़ा था. सभी अश'आर एक साथ पढ़ने में मन आनंदित हो गया.ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति जरा कम दिखाई दे रही है. यहाँ आपकी रचनाओं का इंतजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंहै फकीरी में यहाँ हर पाक नगमागार है|
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है||
वाह !!!!!!!!!!!!!!!
आदरणीय मित्र संजय हबीब एवं भाई सम मित्र अरुण जी आपका आभार
जवाब देंहटाएंघूस भ्रष्टाचार सह कर चुप खड़ा है आदमी |
जवाब देंहटाएंकिस भरत के भारत को बोला गया महान है ||
ऊपर से तुर्रा ये गातें हैं ये -ये मेरा इंडिया आई लव माई इंडिया ....सुन्दर सार्थक विचार को उत्प्रेरित करती पोस्ट .